Sunday, September 18, 2016

सवाल जवाब

उसने पूछा
शर्ट इन क्यों नही करते
क्यों दिखतें हो हमेशा अस्त व्यस्त
मैंने कहा
जेन्टिलमैन नही हूँ ना
फॉर्मल भी नही हूँ
हसंते हुए उसने कहा
जो हो उसके बारे में बताओ
जो नही हो तुम
उसे तुमसे बेहतर जानती हूँ मैं।
***
हमेशा देखती हूँ तुम्हें
स्लीपर या सैंडिल में
जूते क्यों नही पहनते हो तुम
उसने विस्मय से उलाहना देते हुए कहा
मैंने कहा
बंधन नही पंसद मुझे
चप्पल याद दिलाती है मुझे आवारगी
फिर तो नँगे पैर रहा करो तुम
एम एफ हुसैन की परंपरा बचाने वाला भी
आखिर कोई फनकार तो होना चाहिए
ताना मारते हुए उसे कहा
मैंने कहा ठीक है देखता हूँ
मुझे सीरियस होता देख उसने कहा
कैसे भी रहो मुझे फर्क नही पड़ता
हां ! तुम्हें चोट न लगे इसकी फ़िक्र जरूर है
मैंने कहा
क्या ये सम्भव है कि मुझे चोट न लगे
मेरे पैर पर अपने पैर रखते हुए उसने
आश्वस्ति और आत्मविश्वास से दिया जवाब
बिलकुल !
कम से कम मेरे साथ चलते कभी न लगेगी।
***
उसने पूछा एकदिन
कॉफी क्यों नही पसन्द तुम्हें
मैंने कहा जैसे तुम्हें चाय नही पसन्द
सवाल का जवाब सवाल नही होता
तुनकते हुए उसने कहा
अच्छा ये बताओ चाय क्यों है पसन्द
मैंने कहा क्यों का जवाब नही होता मेरे पास
मैं क्यों का जवाब ही नही तलाशता कभी
जैसे तुम कभी ये पूछ बैठो
तुम क्यों हो पसन्द मुझे
चाय की तरह नही बता सकता उसकी वजह
हम्म ! ये जवाब सही है
चलो चाय पीते है किसी कॉफी शॉप पर
ये सुनकर हंस पड़ा हमारे बीच खड़ा रास्ता।
***
अचानक एकदिन
उसने किया एक दार्शनिक सवाल
स्थिर प्यार क्या सड़ जाता है
स्थिर जल की तरह?
मैंने कहा
क्या स्थिर प्यार सम्भव है?
वो बोली हाँ ! बिलकुल सम्भव है
मुझे तो नही लगता है
मैने असहमत होते कहा
प्यार रूपांतरित होता रहता है
स्थिर होना सम्भव नही उसके लिए
मैंने कहा क्या महज यह एक जिज्ञासा है
या तुम्हारी मान्यता समझूं?
हंसते हुए उसने कहा फ़िलहाल तो जिज्ञासा ही समझो
मान्यता ब्रेक अप के बाद बता सकूँगी।

© डॉ.अजित

1 comment:

रश्मि प्रभा... said...

बहुत प्यारी रचना ... चेहरे पर मुस्कान दे गई