Saturday, October 29, 2016

अमावस

प्रेम में अमावस
याद रहती हमेशा
दिल और दिया
जब जलता है एक साथ

रौशनी और अँधेरे
की दोस्ती नजर आती है

प्रेम चाँद को मानता है
भरोसेमंद
उसी के सहारे
लांघ जाता है बोझिल रातें
पूर्णिमा प्रेम की दिलासा है
और अमावस प्रेम की परीक्षा

कभी जलकर तो कभी मिलकर
प्रेम को बचाते है मनुष्य
प्रेम का बचना उत्सव है

प्रेम का मिटना एक घटना है
एक ऐसी घटना
जो ढूंढती है अमावस और पूर्णिमा के मध्य
एक सुरक्षित तिथि
ताकि बांच सके
सम्भावनाओं और षड्यंत्रों का पंचांग।

© डॉ.अजित

2 comments:

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर ...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

सुशील कुमार जोशी said...

दीप पर्व की शुभकामनाएं ।
सुन्दर रचना ।