Saturday, October 27, 2018

चेहरें

कुछ फोटो में
पिता नही थे
जबकि असल में वो थे

कुछ फोटो में
माता नही थी
जबकि असल में वो थी

कुछ फोटो में
पति नही थे
जबकि असल में वो थे

कुछ फोटो में
पत्नी नही थी
जबकि असल में वो थी

कुछ फोटो में भाई नही था
जबकि असल में वो था
कुछ फोटो में बहन नही थी
जबकि असल में वो थी

कुछ फोटो में केवल वो था
जबकि असल में वो नही था

प्रत्येक फोटो में
कोई उपस्थित था
तो कोई अनुपस्थित

ऐसे विरले फोटो थे
जिसमें सब एक साथ रहे हो

फोकस की अपनी सीमाएं थी
जो उसके दायरे में था
वही आता था नजर

आउट ऑफ फोकस
इतने चेहरे थे कि
उन्हें मिलाकर बन सकता था
एक स्वतंत्र देश

मगर इसलिए नही बन सका
क्योंकि आपस में मिलती थी
सबकी शक्लें

अपने पराए के भय से
नही बन सका वो देश
जहां का हर नागरिक निर्वासित था।

©डॉ. अजित