Sunday, October 27, 2013

अंतिम सलाह...



उससे बिछडते वक्त  
एक आखिरी सलाह
देना चाहता था वह
लेकिन
न जाने क्यों
लब कंप कपा गए
और शब्द अपना
अर्थ खो बैठे
आखिरी वक्त पर
दी जाने वाली सलाह
वैसे तो नसीहत सी लगती है
लेकिन न माने जाने
की पर्याप्त सम्भावना होने के बावजूद भी
दिल कह ही उठता है
कुछ करने और कुछ न करने के लिए
वक्त,समीकरण और
सम्बन्धो की धुरी के आसपास
घूमता शब्दों का दायरा
प्रयास तो करता है
अर्थ को अनर्थ से बचाने का
लेकिन
संयोग या विडम्बना देखिए
जब वक्त अंतिम होता है
सम्बन्धो की जोड-तोड का
तब
सलाह नसीहत लगने लगती है
और नसीहत का प्रतिरोधी होना
अंतिम सलाह के अर्थ,मूल्य और महत्व को समाप्त कर
सम्बन्धो की परिभाषा बदल देता है
अंतिम सलाह अर्थहीन हो जाती है
लोग सयाने लगने लगते है
सलाह
मात्र एक बौद्धिक प्रलाप...।
डॉ.अजीत  

4 comments:

ब्लॉग बुलेटिन said...

पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (1) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Anju (Anu) Chaudhary said...

एक अंतहीन खोज की ओर अग्रसर

Sadhana Vaid said...


सलाह
मात्र एक बौद्धिक प्रलाप...!
वाह बहुत खूब !
रचना का हर एक शब्द सत्य की आँच में तपा हुआ ! बहुत ही सुंदर !

Dr.Ajit said...

सभी मित्रो का आभार और साथ में रश्मि प्रभा जी का भी विशेष आभार जो उन्होंने इस खाकसार को इस काबिल समझा कि भद्र लोगो को पढ़वाया जा सके...
डॉ अजीत