Wednesday, January 31, 2018

नींद

स्त्री ने नींद मांगी
ईश्वर मुस्कुराया
और पुरुष की तरफ देखा
जैसे ईश्वर खुद पुरुष पर आश्रित हो
नींद के मामलें में

स्त्री ने साथ माँगा
पुरुष ने इसे हाथ समझा
उसने पकड़ लिया कसकर
वो खुद फिसलकर गिरा
और गिरा दिया स्त्री को भी अपने साथ
इस तरह से गिरना बनी एक दैवीय घटना

इस बात के लिए  
ईश्वर को नही दिया गया कोई दोष
स्त्री जरुर समझी जाती रही कमजोरी का प्रतीक

स्त्री मांगने में करती रही संकोच
वो देती रही नि:संकोच
ईश्वर ने इस बात पर नही थपथपायी उसकी पीठ
वो व्यस्त रहा पुरुष के पलायन पढ़ने में

जब थक कर नींद न मिली
चाह कर साथ न मिला
तब भी ईश्वर पर संदेह नही किया एक स्त्री ने

तमाम उपेक्षाओं के बावजूद
ईश्वर से सर्वाधिक संवाद रहा स्त्री का
प्रार्थनाओं की शक्ल में

दरअसल
ईश्वर और पुरुष दोनों इस बात पर सहमत थे
स्त्री को नींद की जरूरत नही है

इसलिए मुद्दत से
जाग रही है स्त्री
और बेफिक्र होकर  सो रहा ईश्वर
पुरुष के ठीक बगल में.

©डॉ. अजित


3 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

वाह

ब्लॉग बुलेटिन said...

आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १९५० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, बजट, बेचैन आत्मा और १९५० वीं ब्लॉग-बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Parmeshwari Choudhary said...

बढ़िया