Sunday, June 19, 2022

वे पिता थे

 पिता न नायक थे

न खलनायक


पिता केवल पिता थे


उनके साथ 

अच्छी यादें कम जुड़ी थी मेरी


फिर भी उनके जाने के बाद

मुझे याद रही 

केवल उनकी अच्छाई 


बहुत भावुक होकर 

नहीं सोच पाता पिता को लेकर 

आज भी मैं


पिता भी एक मनुष्य थे

तमाम ऐब खूबी के साथ 

उन्होंने जिया अपना भरपूर जीवन


पिता की याद धुंधली पड़ने लगती है

एक समय के बाद

हो सकता है यह मेरा निजी व्यक्तित्व दोष हो


पिता अच्छे या बुरे नहीं थे

'वे पिता थे'

यह एक सम्पूर्ण वाक्य है

जो भूला देता है

पिता से जुड़ी तमाम शिकायतें 


पिता होते तो 

शायद यह कविता न होती


यह कविता है

तो पिता नहीं हैं


यह एक त्रासद बात है

जो समझ सकता है

प्रत्येक पिता।


©डॉ. अजित