Friday, June 20, 2025

अप्रेम की कविताएं

 अप्रेम की कविताएं

-

प्रेम उनके लिए नहीं था

जो प्रेम की तलाश में चले थे कई प्रकाश वर्ष

प्रेम उनके लिए था

जिन्हें यह मिला था अकस्मात और अनियोजित।

**

प्रेम की हत्या प्रेमी ने खुद की

और दोष दिया परिस्थिति को

प्रेम मगर निरापद रहा

और प्रेमी बना अपराधी।

**

प्रेम में औसत होना चुनाव नहीं था

प्रेम में उत्कृष्ट होना अनिवार्य था

प्रेम में मनुष्य वो सब बना

जो वो मूलत: नहीं था

प्रेम की हिंसा इतनी कोमल थी

कि  व्याधि लगने लगती थी उपचार।

**

किसी को बुरा बताकर

अलग हो जाना बहुत सहज है

किसी को अच्छा समझकर

छोड़ना सदा से मुश्किल रहा प्रेम में।

**

उन्हें प्रेम नहीं करना चाहिए

जो अटक जाते हैं मन के एक खास प्रहर में

प्रेम में सुबह, दोपहर और शाम सब होती है

प्रेम की रात बदला लेती है

अटके हुए लोगों से

भटके हुए फिर भी हो जाते हैं उस पार।

© डॉ. अजित

No comments: