Wednesday, July 23, 2014

सुनो

वक्त एक दीवार है
जिन्दगी आर-पार है

गर्म सर्द नही यह
दोस्ती का बुखार है

वजह क्या बताऊँ
बस तुमसे प्यार है

अपना कहते हो जिसे
 वो बेहद होशियार है

दाम लगने ही है
बाबू ये बाजार है

© डॉ.अजीत