Thursday, July 31, 2014

क्लिनिक

डॉक्टर के रिशेप्सन पर
इन्तजार करना
तमाम भव्यता और हाइजिन के बावजूद
बैचेनी भरा होता है
सब कुछ इतना तयशुदा और व्यवस्थित होता है
कि रिशेप्सनिस्ट की मुस्कान यांत्रिक लगती है
वहां खूबसूरत चेहरा देख कविता नही फूटती
कोने में गमलें में रखा बोनसाई
न जाने कितने लोगो के दर्द का गवाह होता है
क्लीनिक पर टंगे भव्य कैलेंडर
जिन्हें दवा कम्पनियों ने छपवाया होता है
हमें लुभा नही पाते
वहां याद आता घर पर अखबार के साथ मुफ्त मिला
पंचांग वाला कैलेंडर
जो फ्रीज के ठीक ऊपर तिरछा टंगा रहता है
डॉक्टर के क्लिनिक की घड़ी
हमें डराती है और बताती है
खुद की देखभाल के मामलें में
हम वक्त से कितने पीछे है
डॉक्टर के क्लिनिक का एसी
तन से ज्यादा मन को ठंडा करता है
वहां नींद नही आती ना ही प्रमाद उपजता है
बल्कि चैतन्य हो भागने की प्रेरणा मिलती है
अलग अलग वजहों से
अलग अलग डॉक्टरों के यहाँ
आरोग्य की तलाश में जाते लोग
दुनिया के सबसे अधिक परेशान जीव है
उनके माथे पर पसरा तनाव
साफ़ पढ़ा जा सकता है
बीमार के साथ जाने वाले घरेलू लोग यार -दोस्त
अपने हृदय की धड़कनो के
उतार चढ़ाव को साफ़ सुन सकते है
डॉक्टर के क्लिनिक पर
सब कुछ प्रायोजित दिखता है
थोडा अपनापन डॉक्टर की बातों से झलक सकता है
कई बार मुआ वो भी सख्त जान होता है
डॉक्टरी पर्चे पर लिखी लिपि
हमारे लिए मृतसंजीवनी के मन्त्र समान होती है
हम उसे पढ़ना चाहते है
मगर पूरी पढ़ नही पाते
डॉक्टर को हम अपनी बीमारी और परेशानी
धारा प्रवाह बताना चाहतें है
मगर उसकी अरुचि हमारा मनोबल तोड़ देती है
फिर हम डॉक्टर के अनुमानों से
सहमत होते चले जाते है
बीमार,डॉक्टर और क्लीनिक
सुस्त होती जिन्दगी के हिस्से होते है
या मनुष्य की जीने की तलब के अड्डे
निसंदेह डॉक्टर मनुष्य के आरोग्य के लिए अनिवार्य है
परन्तु डॉक्टर का क्लीनिक
दुनिया की सबसे असुविधाजनक जगह है
भव्य क्लीनिक से लेकर
पंच सितारा अस्पतालों तक
एक चीज़ सब जगह सबके अंदर पाई जाती है
वहां से जल्दी भाग जाने की उत्कंठा
वो चाहे बीमार हो
या फिर बीमार के साथ तीमारदार।

डॉ.अजीत

( एक क्लीनिक में इन्तजार करते हुए लिखा गया कवितनुमा एक बीमार नोट)

1 comment:

Misra Raahul said...

बहुत उम्दा अभिव्यक्ति।
नई रचना : सूनी वादियाँ