Monday, July 14, 2014

प्रेम कविताएँ

कुछ ख़ास मुश्किल नही होता
बिना प्रेम किए
प्रेम कविताएँ लिखना
प्रेम जितना गुह्य है
उतना ही प्रकट विषय भी है
थोड़ा सा काल्पनिक होकर
अपने आसपास की जिंदगियों में
पसरा-भटका प्रेम देखकर
इस पर महाकाव्य लिखा जा सकता है
बशर्ते
आप अंदर से इतने रिक्त हो कि
आपने कभी प्रेम न किया हो
प्रेम न करके आप केंद्र और बाह्य
दोनों कक्षाओं के चक्कर लगा सकते है
बस खतनाक होता है
सखा भाव में प्रेम देखना
यह ऐसा प्रेम होता है
जो आपको न प्रेम करने देता
और न कविता लिखने देता
तमाम संदेहों, कयासों और
मित्रों से अंतरंगता छिपाने का दोषी
बनने के बावजूद भी
मैंने बिना प्रेम किए
प्रेम कविता लिखना
नही छोड़ा
आज भी मेरी एक से अधिक
प्रेमिका होने का संदेह बहुत से मित्रों है
मै इस बहस नही पड़ता कि
बिना प्रेम किए
कोई प्रेम कविता कैसे लिख सकता है
मै लिखता हूँ और उतरता हूँ खुद के अंदर
वहां इतना अमूर्त प्रेम बिखरा पड़ा है कि
सामान्य सी बात भी प्रेम कविता बन जाती है
बिना प्रेम किए
प्रेम कविता लिखने का सबसे बड़ा खतरा बस यही है कि
आप प्रेम करने का अवसर हमेशा के लिए
खो देते है
केवल आपकी कविताएँ प्रेम कर पाती है
आप नही।
© अजीत