Saturday, July 4, 2015

ज्योतिष

मैंने कहा
जरा हाथ दिखाओं अपना
उसनें कहा
अपनी रेखाओं से
आधी सेंटीमीटर रेखाऐं घटा दो
दक्षिण के अंशों को
उत्तर से मिला दो
माथे से उतार कर देखों
मेरी अनामिका के निशान
अगर फिर भी न बांच सको भविष्य
तब दिखाऊंगी अपना हाथ
उसके बाद
हाथ देखना छोड़ दिया मैंने
उसका तो क्या खुद का भी।
***
मैंने पूछा
तुम्हारी राशि क्या
उसनें कहा
अनुमानों के विज्ञान में यकीन नही मेरा
और मेरे अनुमानों में
मैंने पूछा
तुम्हारे भी अनुमानों में नही
बस तुम में यकीन है मेरा।
***
आदतन एकदिन मैं
बांचने लगा उसका फलादेश
दशा महादशा प्रत्यंतर
सबकी गणना करता हुआ
कर रहा था आधी अधूरी भविष्यवाणियां
वो जोर से हंस पड़ी
मैंने कहा कुछ गलत कहा मैंने
उसनें कहा नही
प्रेम में तुम्हें अंधविश्वासी होता देखना
फिलहाल अच्छा लग रहा बस।
***
अचानक एकदिन उसनें पूछा
ये शनि की साढ़े साती की तरह
प्रेम की साढ़े साती भी होती है क्या
मैंने हंसते हुए कहा
प्रेम का पहले ढैय्या चलता है
फिर साढ़े साती
उसनें कुछ गणना की
और कहा जल्द बिछड़ने वाले है हम
उसके इस फलादेश का उपचार नही मिला आजतक।

© डॉ. अजित



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