Tuesday, July 7, 2015

धरती

धरती घूम रही है
अपनी एक थिर गति से
कायदे से
इसे रुक जाना चाहिए
कुछ पल के लिए
ताकि जड़ हुए मनुष्य
छिटक कर जा पड़े मीलों दूर
मनुष्यता को बचाने का
कम से कम एक प्रयास
धरती को करना चाहिए जरूर।
***
देखना एक दिन ऐसा होगा
धरती बंद कर लेगी अपनी आँखें
फिर फर्क करना मुश्किल हो जाएगा
दिन और रात का
उस दिन
आसमान कोई सलाह नही देगा
वो देखेगा
मनुष्य को भरम के चलते
गिरते-सम्भलतें हुए
धरती आसमान के बीच उस दिन
सबसे अकेला होगा मनुष्य।
***
धरती की शिकायत
बस इतनी सी है
मनुष्य उसे अपनी सम्पत्ति समझता है
जबकि
वो खुद ब्रह्माण्ड के निर्वासन पर है
जिस दिन पूरा होगा उसका अज्ञातवास
मनुष्य सबसे अप्रासंगिक चीज़ होगा
धरती के लिए।
***
धरती गोल है
यह एकमात्र वैज्ञानिक सत्य नही है
धरती के गोल होनें के मिले है
ठोस मनोवैज्ञानिक प्रमाण भी
तभी तो
मनुष्य जहां से चलता है
एक दिन लौट आता है उसी जगह
कभी हारकर कभी जीतकर
धरती जरुर गोल है
मगर मनुष्य का कोई एक आकार नही है
यह बात सिद्ध होनी बाकि है अभी
किसी वैज्ञानिक/मनोवैज्ञानिक शोध में।

© डॉ. अजित 

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