Sunday, October 18, 2015

जोखिम

सन्नाटें के मध्य
चुपचाप पड़ी है कुछ ध्वनियां

एक रूमानी गीत के मध्य
उपस्थित है बेसबब बिछड़ने का सबब

रात और दिन
सुबह और शाम के मध्य
जिन्दा है समय का मिला-जुला प्रभाव

ऐसे में यह तय करना
सबसे मुश्किल था
कौन निकट है कौन दूर

फिर भी
मैं सतत् चलता रहा एक ही दिशा में अनवरत्

उम्मीद थी पहूंच जाऊँगा तुम तक एकदिन

उम्मीद को परखना
जीवन का सबसे बड़ा ज्ञात जोखिम था।

© डॉ.अजित

1 comment:

मन्टू कुमार said...

और आगे फिर ? .....वो भी बयां कीजिए