मुद्दतों
बाद खुद से मिला हूँ मैं
मत
समझो कि बदल गया हूँ मै
चोट
खाकर मुस्कुराता हूँ इस तरह
दूनिया
समझती है संभल गया हूँ मै
आपकी
आंखो की चमक कहती है
अब
ख्यालों से भी निकल गया हूँ मैं
खुद
से मुकरने की सजा मिली ऐसी
वक्त
पर रेत सा फिसल गया हूँ मै
अजनबी
महफिल का जश्न देखकर
दोस्तों
संग पीने को मचल गया हूँ मै
डॉ.अजीत