Friday, May 17, 2019

अधूरी बातें


हमारी कुछ बातें
हमेशा अधूरी ही रही
हम निष्कर्षों को टालते रहते

अधूरेपन के साथ जीना आसान था
निष्कर्षों के साथ मुश्किल
अधूरी बातें उम्मीद जगाती थी
और पूरी बातें हमेशा के लिए खो जाती थी

उसके हाथों की लकीरों में
कुछ ऐसी मारकाट थी
जैसे किसी युद्ध का अमूर्त चित्र  ईश्वर ने
संरक्षित कर दिया हो उसकी हथेली पर

उसका हाथ देखते हुए
होती थी दुनिया से युद्ध लड़ने की हर बार
मगर वो हमेशा देखती मेरा हाथ
लेती मेरी रेखाओं की प्रतिलिपि
अपने माथे पर

ऐसे करते हुए उसकी आँखों में पढ़ी
जा सकती थी एक बात
वही बातें अधूरी अच्छी लगती है
जो पूरी हो सकती हो मगर
न की गई हो पूरी.

© डॉ. अजित  


Sunday, May 12, 2019

कहना


तुम करना उससे निवेदन
पूछना उससे उसका नैतिक बोझ
बताना, मगर समझाना नही
सही गलत के अपने दृष्टिकोण

छोड़ देना समय के पास
वर्जनाओं के सारे ज्ञात संस्करण

स्वत: तय होने देना
प्रेम और कामना का वर्गीकरण

स्पर्शों की आंच में सिकने देना
ज्ञात-अज्ञात के सारे अनुभव

निहारना उसे
किसी निर्वासित ऋषि की दृष्टि से
सुनना उसकी अन्तस् पुकार

होने देना घटित
प्रिय-अप्रिय सब एक साथ

एकदिन पता चलेगा तुम्हें खुद
सम्बन्धों का सारांश

फिर कहना यह बात
मैं ठीक से समझ नही पाया उसको.

©डॉ. अजित

   

Thursday, May 2, 2019

निपुण

बतौर कवि इन दिनों
इतना कमजोर आत्मविश्वास है मेरा
कोई यदि कहें
कविता की फलां पंक्ति में
वाक्य दोष है
तो मैं बिना कविता की अनुमति  लिए
बदल देता हूँ
पूरा भाव

कविता मुझे कमजोर देख
खुश नही होती
बस दुआ देती है
चुपचाप

कवि चाहे कितना हो जाए
अनिपुण
कविता कभी नही होती
निष्ठुर.

© डॉ. अजित