मत भेजना नए साल पर
कोई शुभकामना
जिस साल में तुम न
हो
वो नया कैसा हुआ भला
भले नए साल कई महीने
बीतने पर
कर देना अचानक से
विश
जैसे आईस-पाईस में
बोल दिया हो ‘धप्पा’
मत भेजना कोई धुंध
में लिपटी शुभकामना
फॉरवर्ड किए संदेशो
से उकताया हुआ मेरा मन
नही पढ़ सकेगा तुम्हारा
कोई मैसेज
और पढ़कर भी क्या
करना है
जब फिलहाल शुभकामना
के बदले
शुभकामना नही मेरे
पास
इनदिनों मैं
प्रार्थनाओं में व्यस्त हूँ
ईश्वर से मांग रहा
हूँ रोज़ माफियाँ
न किए गए गुनाहों की
भी
मुझे माफ़ी मिले न
मिले कोई बात नही
मुझे कोई अफ़सोस न
होगा इस पर
मगर
नए साल पर तुम्हें
देखना चाहता हूँ
बेवजह खुश
जब जब तुम किसी कारण
से खुश हुई हो
उस ख़ुशी ने ली है
हमेशा एक बड़ी कीमत
नये साल पर मत भेजना
मुझे कोई शुभकामना
यदि हो सको हो
हो लेना बस एक बार
बिना वजह खुश
ईयर न्यू हैप्पी
तभी सीधा पढ़ सकूंगा
मैं.
डॉ. अजित