तुम
आशीर्वाद मांगने ठीक
उस
वक्त मेरे पास आये
जब
मै लगभग निस्तेज़ था
तुम
प्रेम मांगने ठीक
उस
वक्त मेरे पास आए
जब
मै अन्दर से रिक्त था
तुम
मुझे मांगने ठीक
उस
वक्त मेरे पास आए
जब
मै बिक चुका था
तुम्हारे
समीकरण
कभी
ठीक नही रहे
मांगने
के मामले में
बावजूद
इसके
मै
आज तुम्हे देता हूँ
एक
शब्द
‘तथास्तु’
यह
महज़ एक शब्द नही
व्याकरण
है जिन्दगी का
आदतन
इसका
संधि विच्छेद मत करना
मेरी
तरह
यह
शर्त सौप रहा हूँ तुम्हें
वरदान
की शक्ल में।
डॉ.अजीत