हम एक गलत वक़्त पर मिले
दो सही लोग थे
सही किसी योग्यता की दृष्टि से नहीं
बल्कि हम एक दूसरे के पूरक जैसे दिखते थे
यह दिखना दूर तक साथ रहा मेरे
शायद अंतिम सांस तक
जब मृत्यु आई और उसने कहा-चलो !
मैंने उसका ठंडा हाथ थामा और कहा
अपने भाई जीवन से कहना एक बात
उसे मेरे पास देर से आना था
दस-बारह बरस पहले आया
वो मेरे पास
इस पर मृत्यु
बस मुस्कुराई और बोली
अधूरे प्रेमियों को ले जाने में मेरे कंधे दुखते हैं
मैं उसके साथ चल पड़ा चुपचाप
जब पीछे मुड़कर देखना बंद किया मैंने
तब उसने कहा
तुम मिलने के लिए नहीं बने थे
तुम एक दूसरे को मिलाने के लिए बने थे
इसलिए तुम्हारा संदेश मैं छोड़ आई हूँ नीचे
इसी के भरोसे आएगा किसी को
धीरे-धीरे सब्र।
© डॉ. अजित