उसे एक आत्मीय स्त्री ने
क्रोध में श्राप दिया था
सदा भरम से घिरे रहने का
कलयुग में श्राप से डरना
चलन में नही था
मगर उसे वास्तव में
लगा था इस श्राप से डर
उसनें अपने डर को
छिपाते हुए कहा
तुम खुश रहो
मेरे लिए आशीर्वाद है
तुम्हारा श्राप
इस पर स्त्री चुप रही
स्त्री की ऐसी चुप्पी
सबसे गहरा श्राप बना
उसके जीवन का
इसके बाद
उसको खुश रहने की बोलकर
वो खुद भूल गया खुश रहना
इस तरह
कलियुग में सच्चा सिद्ध हुआ
एक आहत स्त्री का श्राप।
© डॉ. अजित
क्रोध में श्राप दिया था
सदा भरम से घिरे रहने का
कलयुग में श्राप से डरना
चलन में नही था
मगर उसे वास्तव में
लगा था इस श्राप से डर
उसनें अपने डर को
छिपाते हुए कहा
तुम खुश रहो
मेरे लिए आशीर्वाद है
तुम्हारा श्राप
इस पर स्त्री चुप रही
स्त्री की ऐसी चुप्पी
सबसे गहरा श्राप बना
उसके जीवन का
इसके बाद
उसको खुश रहने की बोलकर
वो खुद भूल गया खुश रहना
इस तरह
कलियुग में सच्चा सिद्ध हुआ
एक आहत स्त्री का श्राप।
© डॉ. अजित