Friday, July 19, 2024

चक्र

 दुनिया का अंत देखने के लिए

समानांतर दुनिया की कल्पना 

नितांत ही जरूरी है

ये अलग बात है कि अंत देखने के बाद 

हमें भोगी हुई दुनिया दिखने लगे समानांतर

दुनिया का अंत देखना उनके लिए निश्चित ही दिलचस्प होगा

जो दुनिया में केवल खोजते रह गए रोमांच।


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दुनिया का अंत 

देखने की चाह में अनेक चीजों का अंत हुआ

मगर विश्वास सबसे शिखर पर था

तमाम अंत के मध्य।


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एक दुनिया का अंत हमारे अंदर हुआ

तो हमे लगा यही थी सबसे अस्त व्यस्त दुनिया

जबकि दुनिया आरम्भ से लेकर अंत तक रही नियोजित और स्थिर

तमाम अस्त व्यस्त चीजें हमारी कामनाओं के चूकने की अभिव्यक्ति भर थी।


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एक बिंदु से चलकर 

कहीं पहुंचना भूगोल की घटना है

एक बिंदु से चलकर 

सही जगह न पहुंचना शायद मनोविज्ञान की

मगर एक बिंदु से चलकर कहीं न पहुंचना उस दर्शन की घटना थी जो हमने कभी नहीं पढ़ा था।


© डॉ. अजित 

4 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सच है । सुन्दर ।

शुभा said...

वाह! सुन्दर सृजन!

Onkar said...

बहुत सुन्दर सृजन

आलोक सिन्हा said...

बहुत सुन्दर