Monday, October 7, 2024

कृपया

 'कृपया'

एक निवेदन है

और आग्रह भी

'कृपा' जिसमें 

किसी एक का परिणाम बन जाती है।


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अपनी छाया के अंदर

कूदकर देखता हूँ 

तो पाता हूँ

वहां वह कठोरता मौजूद है

जो असल जीवन से 

अनुपस्थित है।

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सपने यदि ऐच्छिक होते तो

कल्पना निस्तेज चीज बन जाती।


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मैंने खुद को प्रभावित

करने की चेष्टा में

खुद का सबसे अधिक नुकसान किया।


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हमें देखने के लिए

आँख की न्यूनतम जरूरत थी

मगर

हम आँख से आगे कभी न देख पाए।


©डॉ. अजित