Wednesday, March 20, 2019

श्राप

उसे एक आत्मीय स्त्री ने
क्रोध में श्राप दिया था
सदा भरम से घिरे रहने का

कलयुग में श्राप से डरना
चलन में नही था
मगर उसे वास्तव में
लगा था इस श्राप से डर

उसनें अपने डर को
छिपाते हुए कहा
तुम खुश रहो
मेरे लिए आशीर्वाद है
तुम्हारा श्राप

इस पर स्त्री चुप रही
स्त्री की ऐसी चुप्पी
सबसे गहरा श्राप बना
उसके जीवन का

इसके बाद

उसको खुश रहने की बोलकर
वो खुद भूल गया खुश रहना

इस तरह
कलियुग में सच्चा सिद्ध हुआ
एक आहत स्त्री का श्राप।

© डॉ. अजित

Monday, March 11, 2019

जिम्मेदारी

पेट के बाद बच्चा
उनके कंधों से लगा रहता
कई-कई साल
सोने और खाने का
उनका समय तय होता है
बच्चे के हिसाब से

इसका अभ्यास
एक नैतिक जिम्मेदारी की तरह
शामिल रहा स्त्री के जीवन में

बच्चे की बीमारी से लेकर
उसके स्कूल जाने की तैयारी तक
यदि स्त्री के जीवन की अस्त-व्यस्तता
को देखा जाए तो
उसका श्रम अपरिमेय होता जाता

माता-पिता की अपनी अपनी
जिम्मेदारियों के मध्य
पिता के पास उकताने की सुविधा थी
वो रोते बच्चे को चुप कराने में
असमर्थता जताकर कभी भी सौंप सकता था
उसकी मां को

मां के पास ऐसी सुविधा नही थी
चुप कराने से सुलाने तक को
समझा जाता था उसका स्थायी कौशल

परवरिश के सेमिनारों में
मां के लिए बताए गए नए नए सूत्र
ताकि बच्चे बन सके
स्वस्थ सभ्य सुशील

बिगड़ैल बच्चों के कारणों में
सबसे ऊपर रखा गया
मां का लाड-दुलार

ऐसा नही है कि
पिता की कम भूमिका रही
बच्चों के लालन-पोषण में

मगर
ऐसा जरूर है
पिता के हिस्से में अधिक आए
बच्चों के यश,गौरव और एकांत
इसलिए बच्चों को
बीमारी में सबसे पहले याद आती  थी मां
और उपलब्धि पर पिता।

©डॉ. अजित

Thursday, March 7, 2019

मोक्ष

आज से कई बरस बाद
जब सब कुछ ढ़लान पर होगा
और मृत्यु की चिंता सहित प्रतीक्षा
अवचेतन का सबसे बड़ा सच होगा

तब मैं पूछूँगा उन दिनों के बारे में
जब सुदर्शन थी काया
और शब्दों की थी अपनी माया
सपने जब डेढ़ रात चलते थे
और दिन हमारी शर्तों पर ढ़लते थें

तब एक स्त्री ही बताएगी
यथार्थ की सच्ची परिभाषा
उसी के भरोसे छोड़ सकूंगा
मैं अधिकार की आशा

उसकी मदद के भरोसे होगी
मेरी मुक्ति
देह और आत्मा के प्रश्नों से
घटित होगी तब सच्ची विरक्ति

एक स्त्री के प्यार के भरोसे ही
मैं जा सकूंगा यहां से होकर निर्द्वंद
क्योंकि
स्त्री का प्यार यह भरोसा दिलाएगा
मुझे बार-बार

उसके लिए लौटना होगा मुझे
 हर बार।

©डॉ. अजित