आधी
रात का मुकाम अभी बाकी है
दोस्तों
से दुश्मनी निभानी अभी बाकी है
वो
मेरा था नही ये बात जानते है सब
लेकिन
क्यों ये कहानी अभी बाकी है
नाकामियों
की मुनादी कर दी हमने खुद
किसका
था हाथ ये बताना अभी बाकी है
न
साथ ही चले तुम न रास्ता ही दिया
फिर
भी चेहरे पर थकान अभी बाकी है
करीब
आकर दूर गये यूँ ही चलतें-चलतें
मिलनें
पर मगर मुस्कान अभी बाकी है
1 comment:
वाह बहुत खुब !
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