Tuesday, September 28, 2021

प्रेमिका को याद करते हुए

 प्रेमिका को याद करते हुए

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प्रेमिका को याद करते हुए
याद आ जाते स्वत:
छूटे हुए बसंत

जानकार लोग कहते हैं
प्रेमिका कभी पूर्व नहीं होती
प्रेम नकार देता है व्याकरण के नियम
मगर
प्रेमिका को याद करते हुए
अक्सर याद आ जाता है
पूर्व से पूर्व का समय

जब किसी के होने भर से
हम दिन को मान लेते शुभ
और टाल देते थे
अपने जीवन की तमाम अशुभता

प्रेमिका को याद करते हुए
सबसे ज्यादा याद आती है
अपनी वे गलतियां
जो होती गयी अनायास

यादों के सहारे
बनता है एक पुल
मगर वो रास्तों को नहीं जोड़ता
उसे देखा जा सकता है
दो देशों के मध्य फैली सीमा रेखा की तरह

प्रेमिका को याद करते हुए
याद आती है वो नदी
जो दरअसल तैर कर करनी थी पार
मगर हम तलाशते रहें
एक मल्लाह जो ले जा सके उस पर

प्रेम की स्मृतियाँ उतनी धूमिल नहीं होती कभी
प्रेमिका के नाम के अक्षर को हम पहचान लेते हैं
सबसे खराब लिखावट में भी

प्रेम यही कौशल देकर जाता है हमें
जो आता है काम हर बुरे वक्त में.

© डॉ. अजित


7 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

बहुत सुन्दर

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा 30.09.2021 को चर्चा मंच पर होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क

Manisha Goswami said...

यादों के सहारे
बनता है एक पुल
मगर वो रास्तों को नहीं जोड़ता
उसे देखा जा सकता है
दो देशों के मध्य फैली सीमा रेखा की तरह
बहुत ही सुंदर और उम्दा रचना

Sweta sinha said...

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना १ अक्टूबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

ज्योति-कलश said...

सुन्दर, सरस

रेणु said...

बढ़िया लिखा है 👌👌🙏🙏

Onkar said...

बहुत सुन्दर