Wednesday, July 26, 2023

सब्र

 

हम एक गलत वक़्त पर मिले
दो सही लोग थे

सही किसी योग्यता की दृष्टि से नहीं
बल्कि हम एक दूसरे के पूरक जैसे दिखते थे

यह दिखना दूर तक साथ रहा मेरे
शायद अंतिम सांस तक

जब मृत्यु आई और उसने कहा-चलो !
मैंने उसका ठंडा हाथ थामा और कहा
अपने भाई जीवन से कहना एक बात

उसे मेरे पास देर से आना था
दस-बारह बरस पहले आया 

वो मेरे पास

इस पर मृत्यु
बस मुस्कुराई और बोली
अधूरे प्रेमियों को ले जाने में मेरे कंधे दुखते हैं

मैं उसके साथ चल पड़ा चुपचाप
जब पीछे मुड़कर देखना बंद किया मैंने

तब उसने कहा
तुम मिलने के लिए नहीं बने थे
तुम एक दूसरे को मिलाने के लिए बने थे

इसलिए तुम्हारा संदेश मैं छोड़ आई हूँ नीचे

इसी के भरोसे आएगा किसी को
धीरे-धीरे सब्र।

© डॉ. अजित

3 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सटीक

शुभा said...

वाह! क्या बात है!

Onkar said...

बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति