बातें बहुत कहना चाहता हूं, कहता भी हूं, पर हमेशा अधूरी रह जाती हैं, सोचता हूं, कहूंगा...शेष फिर...
Saturday, December 22, 2007
आपसे अपनी बात
जैसा की आप सब लोग जानते ही हैं की उत्तरप्रदेश का एक जनपद है मुज़फ्फरनगर ! खासियत भी आप जानते होंगे ही अपने देश के ही नही विदेश के भी विभिन्न मीडिया माध्यमो को आपराधिक समाचारों की सतत सप्लाई यंही से होती है...इसी मिटटी में मेरे जैसा एक भावुक और संवेदनशील जीव का जनम हुआ गाँव था हथछोया...संयोग से ऐसे परिवार मैं जनम हुआ जंहा कला, कल्पना और कविता को सम्मान की नजरो से नही देखा जाता धुर दबंग और जमीदार परिवार...लेकिन पता नही कंहा से इस कुलकलंक के मन में सम्वेदना, कविता और साहित्य का बीज रोपण हुआ और जिसकी आज एक अच्छी खासी फसल लह लहरा रही है ..... इस कला, कल्पना और कविता के चसके ने मुझे अपनी बिरादरी से निकाल कर एक नई दुनिया का हिस्सा बना दिया शायद यह नियति थी या प्रारब्ध अभी तक तय नही कर पाया ...वैसे तो दुनियादारी की भाषा मैं बोलू तो २५ साल की इस अल्पायु मैं मनोविज्ञान, हिन्दी और जनसंचार मैं स्नातकोत्तर उपाधि और मनोविज्ञान मैं पी-एच. डी की उपाधि प्राप्त करने के बाद अभी गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में मनोविज्ञान विभाग में बहैसियत प्रवक्ता कार्यरत हूँ..लिखना तो स्कूल के दिनों से ही शुरू कर दिया था लेकिन जो शुरुआत लेख एवं संपादक के नाम पत्र लिखने से हुई वह स्नातक होने तक कविता मैं बदल गयी.. अब थोड़ा बहुत लिख पढने के बाद जब कभी मन मन में बेचैनी होती है तो कुछ पंक्तिया लिख लेता हूँ ज्यादा कविता का तकनीकी पक्ष नही जानता बस यूं ही जो महसूस करता हूँ उस सम्वेदना, अनुभूति को कागज़ पर उडेल देता हूँ.. बस यही परिचय है अपना !
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3 comments:
dr.saheb jab parichay pad kar hi aisa laga jaise koi kavita pad li ho, to aapki kavitaye to kaya nahi kahti hongi.ek arse baad kisi sachhe se insaan ko padne dekhne ka suavsar mila hai...meri shubhkamnaye.. baki kavita pad kar
भाईजान, आप अच्छा लिखते हैं. आपकी कविताएं काफी प्रभाव छोड़ती हैं.
दरअसल संबंधों की रवायत ही यही होती है.
रिश्ते बनते ही हैं बिगड़ने के लिए. पछतावा तो होना ही है
aapka parichay pa accha laga .
blog jagat me apanee jaga kaise banae isem sangeeta jee kafee madad karengee .
shubhkamnae
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