नये साल की
नई सुबह पर
कुछ गैर मौलिक किस्म
के एसएमएस के साथ
बंटता अपनापन
औपचारिक होते सम्बन्धों
के धुएं मे लिपटी
स्याह ठंडी शुभकामनाएँ
और शिकायतों,वादों के कारोबार में
सेंसेक्स की तरह डूबता हुआ
मन ऐसे अवसरों पर
असहज हो जाता है
जब दूनिया मस्ती मे मस्त हो
पैर थिरक रहे हों
और शराब से कान हो गये हो लाल
सिमटता हुआ मेरा वजूद
भागना चाहता है बेहिसाब
ताकि मै सांस ले सकूँ
ऐसी जगह
जहाँ मेरे जूतें,कपडों
और टाईटन की घडी से कीमत
न तय होती हो
अपेक्षाओं का सूखा जंगल न हो
हर साल 31 दिसम्बर की रात
को शुरु हुई मेरी यह दौड
पूरे साल चलती रहती है
लेकिन अब मै थकने भी लगा हूँ
तभी तो अनायास ही मुहँ से निकल ही
जाता हैप्पी न्यू ईयर....सैम टू यू...!डा.अजीत
4 comments:
आज यही सन्देश रह गया है ..एस एम एस के ज़रिये ही अपनापन दिखा लेते हैं लोग ...नव वर्ष की शुभकामनायें
वाह,क्या बात है!
बड़ी गहराई है अभिव्यक्ति में !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
वाह ! बेहद खूबसूरती से कोमल भावनाओं को संजोया इस प्रस्तुति में आपने ...
सभी ही अच्छे शब्दों का चयन
और
अपनी सवेदनाओ को अच्छी अभिव्यक्ति दी है आपने.
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