अक्सर शाम होते ही उदास हो गये
झुठा बहाना सुनकर बच्चे सो गये
दुनिया के लिए जो था मशहूर बहुत
किस्से उसके कहानियों में खो गये
महफिल की तन्हाई देखकर शेख बोले
इतने लोगो कैसे खुदा पसंद हो गये
रोज जीना रोज़ मरना खेल नही है
ऐसे बेअदब हम यूँ ही नही हो गये
नज़र ब्याँ कर गयी दिलों के फांसले
अपनों के अन्दाज़ अजनबी हो गये
उदासी का लुत्फ अजीब ही निकाला
मुस्कुराने की बात पर भी रो गये
डॉ.अजीत
2 comments:
wah!
अक्सर शाम होते ही उदास हो गये झुठा बहाना सुनकर बच्चे सो गये
गज़ब डॉक्टर साहब..!!
Post a Comment