Friday, July 31, 2015

बातें

मैंने एक दिन उससे कहा
यू डिजर्व बेस्ट
वो इस बिन मांगी सलाह पर हैरान थी
फिर दार्शनिक मुद्रा में बोली
बेटर या बेस्ट कुछ होता ही नही
फिर क्या होता
मैंने पूछा
उसने कहा जिंदगी का ज्यादा ग्रामर नही पढ़ा मैंने
बस इतना पता है
क्या तो कोई जिंदगी में कुछ होता है
या फिर कुछ होता ही नही
अब मैं चुप था।
***
अचानक एकदिन उसनें पूछा
तुम्हारी आँखों में प्यार नही दिखा कभी
ये प्यार छिपाना कहां से सीखा
मैंने कहा तुम्हारी बातों से
फिर पूरे ढाई दिन उसनें बात नही की मुझसे
मेरी शुष्क आँखें इस प्यार को जरूर देख सकती थी
वो भी मीलों दूर।
***
कभी कभी हम एक दूसरे से
अजनबी की तरह पेश आतेे
हो जाते थे बेहद औपचारिक
दुआ सलाम तक हो जाती थी बंद
बस एक बात बचा लेती थी
रिश्तों की ख़ूबसूरती
तमाम अरुचियों असहमतियों के बावजूद
कभी भी अविश्वास नही था हमारे बीच।
***
एकदिन उसनें पूछा
एक आसान सवाल का जवाब दो
प्यार जिंदगी है या
जिंदगी प्यार है
मैं जवाब सोच ही रहा था
अचानक वो खिलखिलाकर हंस पड़ी
इतना सोचने वालों के लिए
न प्यार है न जिंदगी है
फिर क्या है मैंने नाराज़ होते हुए कहा
सोचकर बताऊंगी
यह कहकर वो फिर हंस पड़ी।
***
© डॉ.अजित