Friday, January 5, 2018

बातें अनकही

उसने कहा
मेरा पार्टनर कहता है
राइटर्स और पोएट्स से दूर रहा करो
होते है वो आदतन लंपट
बिछाते है शब्दों का जाल
दिखाते है सपनों की दुनिया
कल्पना की लगा देते है लत
तो रहना चाहिए तुम्हें दूर
मैंने कहा
ये तुम कह रहे हो?
उसने आश्चर्य में भरकर कहा
हां ! रहना चाहिए दूर हर उस चीज़ से
लग जाती हो जिसकी लत
मैंने कहा
उसके बाद उसने कहा
क्या तुमने खुद पर तो नही ले ली ये बात
मैंने कहा,ले भी लूं तो क्या फर्क पड़ता है?
उसने जाते हुए कहा
अब पता चला बॉस
एकदम सही कहता है पार्टनर।
***
मैं तुम्हें एकदिन
खाने पर बुलाना चाहती हूँ
मगर सोचती हूँ
क्या कहकर मिलवाऊंगी तुम्हें सबसे
वो जो तुम हो नही या वो जो तुम हो
मैं हंस पड़ा यह सुनकर
ठीक है चाय पर बुलाते है किसी दिन
क्यों चाय पर मिलवाना नही पड़ता क्या?
मैनें हंसते हुए पूछा
तुम चाय पीते हुए लगते हो इतने जहीन
कि तार्रुफ़ की जरूरत नही होगी मुझे
वो चाय आज तक उधार है।
***
मैंने आजतक शराब नही पी
मगर एकबार पीना चाहती हूँ
वो भी तुम्हारे साथ
उसने एकदिन गम्भीरता से कहा
मेरे साथ ही क्यों
मैंने पूछा
तुम्हारे पास अतीत के किस्से है
बाकि के पास मेरे हिस्से है
इसलिए
ये क्या बात हुई भला
मैंने हंसते हुए कहा
तुम नही समझोगे
ये बात समझ आई मुझे
कभी पीने के बाद।
***
जब मैं नही रहूंगी
तुम्हारे पास
तब मेरी बातें रहेंगी
ये बड़ी तसल्ली है मेरे लिए
मैनें कहा
ये सच कहा तुमनें
एक झूठ भी कहूँ उसने कहा
तुम्हें और तुम्हारी बातों को
जल्द भूल जाऊंगी मैं।

©डॉ. अजित

4 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

बढ़िया।

'एकलव्य' said...

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'रविवार' ०७ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

Onkar said...

बहुत सुन्दर कविताएँ

Rajesh Kumar Rai said...

लाजवाब !! बहुत सुंदर आदरणीय ।