बतौर कवि इन दिनों
इतना कमजोर आत्मविश्वास है मेरा
कोई यदि कहें
कविता की फलां पंक्ति में
वाक्य दोष है
तो मैं बिना कविता की अनुमति लिए
बदल देता हूँ
पूरा भाव
कविता मुझे कमजोर देख
खुश नही होती
बस दुआ देती है
चुपचाप
कवि चाहे कितना हो जाए
अनिपुण
कविता कभी नही होती
निष्ठुर.
© डॉ. अजित
इतना कमजोर आत्मविश्वास है मेरा
कोई यदि कहें
कविता की फलां पंक्ति में
वाक्य दोष है
तो मैं बिना कविता की अनुमति लिए
बदल देता हूँ
पूरा भाव
कविता मुझे कमजोर देख
खुश नही होती
बस दुआ देती है
चुपचाप
कवि चाहे कितना हो जाए
अनिपुण
कविता कभी नही होती
निष्ठुर.
© डॉ. अजित
2 comments:
वाह
वाह, क्या बात है.
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