Wednesday, November 27, 2019

बदलाव


उसने कहा
तुम्हारी आदतें बदल गई कुछ
इस बात मुझे खुश होना चाहिए
मगर मुझे अच्छा नही लग रहा है

कुछ आदतें कभी नही बदलनी चाहिए

इस बात का अहसास अब हुआ है मुझे

मैंने कहा
बदलाव जीवन का सच है

मगर ज़िन्दगी जीने के लिए हमेशा हमें
चाहिए होता है कुछ प्रतिशत झूठ

इस प्रतिशत को निचोड़ा जा सकता है
वर्तमान और भविष्य से बारी-बारी
उसने कहा

फिर मैंने कुछ नही कहा
और देखा बदलाव को सूखते हुए
कामना के तार पर  
धूप और हवा के बिना.

© डॉ. अजित

5 comments:

Sweta sinha said...

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ नवंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

Anita Laguri "Anu" said...

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (29-11-2019 ) को "छत्रप आये पास" (चर्चा अंक 3534) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिये जाये।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
-अनीता लागुरी 'अनु'

Anuradha chauhan said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति

अनीता सैनी said...

बेहतरीन सृजन आदरणीय
सादर

मन की वीणा said...

वाह बहुत खूब सृजन।