Wednesday, April 19, 2023

शिकायत

 

कवि के लिए कविता से अधिक मुश्किल था

किताब बेचना

इसलिए अप्रकाशित रह गयी

बहुत सी कविताएं


जिन प्रकाशकों को किताब बेचने के लिए

कवि की जरूरत नहीं थी

उन प्रकाशकों के दरवाजे बंद थे कवि के लिए

इसलिए भी कुछ कविताएं बंद रही

मन के दरवाजों में बंद सदा


यह कोई शिकायत करने की बात नहीं

यह एक परंपरा की बानगी भर थी


कवि को शिकायत नहीं करनी चाहिए

उसे लिखना चाहिए अपनी शर्तों

पढ़े जाने की कामना और छपने की ज़िम्मेदारी छोड़कर  


अप्रकाशित कवियों को तलाश लिया जाता है

उस दौर में जब होती हैं उनकी सबसे ज्यादा जरूरत


इसलिए कविता के लोकार्पण की चिंता मिथ्या है

लिखना ही अंतिम सत्य


यह कोई दार्शनिक उक्ति नहीं

एक अज्ञात हस्तक्षेप है

जिसके सहारे बचे हैं

दुनिया के सभी अज्ञात कवि

और उनकी कविता।

 

© डॉ. अजित

2 comments:

Onkar said...

बेहतरीन रचना

सुशील कुमार जोशी said...

खुद के अन्दर ही कहीं छपे या छिपे रहने के लिए | सुन्दर |