Saturday, July 3, 2010

विकल्प

कभी यह सोचकर

एक अजीब सी बैचेनी होती है

कि

विकल्प संकल्प की बाधा है

या एक ऐसी युक्ति

जिस पर गाल बजाई की जा सके

आदमी का अपनी सुविधा के लिए

गढा हुआ एक बहाना भी हो सकता है

जिसके होने और न होने से

कोई खास फर्क नही पडता

फिर यदि मित्र का विकल्प शब्दकोश

पत्नि का प्रेमिका

और दूसरे सम्बन्धो का कुछ और

बन सकता है

या बनाया जा सकता है

तो फिर कोई असुविधा ही नही रही

सम्बन्धो में

यह एक भटकन भी तो सकती है

अपने आपसे

अपने को भुलाने का एक उपचारिक

प्रयास

अलझाईमर की बीमारी अगर

जवानी मे हो जाए

कुछ दिन के लिए और फिर ठीक हो जाए

तो विकल्पों के रोजगार करने

की जरुरत ही न पडे शायद

यादें खट्ठी-मिट्ठी होती है

लेकिन खटास का मैल मन से धुलता क्यों नही

इसका धोने का कोई डिटरजेंट

नही बन पाया आजतक

समानांतर जिन्दगी के पडाव

पल भर सुस्ताने की मोहलत नही देते

और अगर फुर्सत मिल भी जाए

तो वो लोग नही मिलते

जिनकी जिद पर हमने रचा है

अपने वैकल्पिक सम्बन्धों

का पूरा हरा-भरा संसार

यह सोचकर एक ठंडी सांस भरी जा सकती है

या रोया जा सकता एकांत मे

शराब पीकर

लेकिन इन सब प्रपंचो से

किसी को कोई फर्क नही पडता
क्योंकि कोई हमारा विकल्प है
और हम किसी के विकल्प...।
डा.अजीत

4 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा!

Mukesh said...

Khubshurat hai

Mukesh said...

Khubshurat hai

निर्मला कपिला said...

समानान्तर जिन्दगी के पडाव पल भर सुस्ताने की मोहलत नही देते--- जीवन के एक सत्य को उजागर करती रचना ---- शायद इस रचना का भी कोई विकल्प नही। आभार।