ऐसे लोगो की तलाश
के लिए मुझे
संविदा पर रखा गया है
जो असफल हो...
जीवन मे कुछ बडा करना चाहते
पर न कर पाए हो
वाचाल तो नही
वाकपटू भी हो तो ताकि
अपनी असफलताओं को
वक्त आने पर जस्टीफाई
कर सके और सीना तना रहे
स्वाभिमान से
दूनियादारी से कुछ
अलग होने के भाव के साथ
ऐसे लोग
जो विशेषण और उपमाओं
के अभिलाषी न हो
मतलब इन सब से उपर उठ चूकें हो
वादाखिलाफी को
मजबूरी मे बदलने मे माहिर
ऐसी कला का होना बेहद जरुरी है
और वक्त आने पर
अपने आप को साफ बचाते हुए
बिना महान बने
नो मेंस लैड के नागरिक
बनते हुए आपके चुनाव को
चुनौति दे सकें
जमानत जब्त होने की सीमा तक
फिर भी कोई मलाल न हो
और यह कहे फख्र के साथ
दरअसल तुम समझते नही हो
बात ऐसी नही है
इसका प्रयोग आना बेहद
जरुरी है
ऐसे लोगो को तलाशता
हुआ मै आ पहूंचा हूं
अपने घर से बहुत दूर
इतना दूर कि अब शायद ही
किसी पारिवारिक उत्सव मे शामिल हो सकूं
मेरी भटकन प्रतीक है
उन असफल लोगो की
खोज की जिन्होने
अपने आप को बर्बाद किया
ऐसा दूनिया कहती है
वो कमबख्त तो कुछ कहते ही नही
बस मेरे सवालों पर
मेरे असामान्य होने का चस्पा लगा कर
अपने धुन मे बिछड जाते है
मेरी संविदा भी
अधूरी रहेगी शायद
मेरी तरह...फिर भी
तलाश जारी है...
आपको कोई मिले तो
मेरा पता देना जरुर...।
डा.अजीत
4 comments:
बहुत खूबसूरत ...पर आज कल तो ऐसे लोंग बहुतायत से पाए जाते हैं ...
अजित जी देखिएगा मैं अगर फिट बैठती हूँ तो मेरा नाम लिख लीजिये लिस्ट में ......
डा.अजीत जी
"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
... ........ बहुत खूब
बहुत सुंदर सृजन।
सादर
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