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मुख्तसर सी जिन्दगी
सो बहाने मरने के
जख्म दोस्ती के
नही ये भरने के
वक्त आख़िरी है
दिन नही संवरने के
भूल नही पाऊँगा
लम्हें तेरे मुकरने के
आँख हो मयखाना
बहाने है गिरने के
मुख्तसर सी जिन्दगी
सो बहाने मरने के
जख्म दोस्ती के
नही ये भरने के
वक्त आख़िरी है
दिन नही संवरने के
भूल नही पाऊँगा
लम्हें तेरे मुकरने के
आँख हो मयखाना
बहाने है गिरने के
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