Saturday, January 16, 2016

उसकी बातें

लिखने को इतना कुछ था
आसपास
मगर उसने चुना केवल प्रेम
वो डाकिया था
जिसने चिट्ठियां बांटी सही पतों पर।
***
प्रेम ने बदल दी थी उसकी दुनिया
वो अब लिखता था
जेठ की दोपहर में
फागुन के गीत
मौसम ने दिया था उसको शाप
उदास रहने का।
***
उसके पास थे
सब किस्से उधार के
जिन्हें उसका समझा गया
और लगाए गए अनुमान
वो एक अच्छा किस्सागो था
और एक खराब प्रेमी
ये बात केवल उसका एकांत जानता था।
***
उसके पास
कुछ नही था जताने बताने और समझाने के लिए
उसकी स्मृतियां
अल्पकालीन निविदाओं पर आश्रित थी
वो अनुबंधित था
हस्तक्षेप न करने के लिए
इसलिए भी था
उसका हर वादा सरकारी।

© डॉ.अजित

1 comment:

Asha Joglekar said...

वाह कितनी अलग और कितनी सुंदर कविता। डाकिया डाक लाया और प्रेंम कहानियाँ भी लाया।