Wednesday, January 27, 2016

कमी

आधी अधूरी बातों की
एक छोटी सी फेहरिस्त है मेरे पास
इतनी छोटी कि
चाय खत्म करने से पहले
तुम पढ़ लोगी

आधे अधूरे अहसासों के
कुछ छोटे छोटे वजीफे है मेरे पास
इतने छोटे के
तुम्हारी आधी मुस्कान में
खर्च हो जाएंगे

कुछ आधे अधूरे खत है
कुछ के पते अधूरे है
कुछ के हाशिए पर
मैं उदास बैठा हूँ
तुम पढ़ोगी तो अच्छा नही लगेगा
इसलिए कभी पोस्ट नही किए

आधे अधूरे ख्यालों की एक शॉल है मेरे पास
सर्द यादों के मौसम में काम आती है जो
कतरा कतरा खुद को निचोड़ता हूँ
उदासी के लम्हों में
तुम्हारी हंसी को ओढ़ता हूँ

एक आधी अधूरी कहानी है मेरे पास
जिसकी शक्ल तुमसें मिलती है
सब कुछ आधा अधूरा ही है मेरे पास
इस बात का कोई अफ़सोस नही है

हां, अफ़सोस इस बात का है
ये अधूरापन अब आदत में शामिल हो गया है
अब कमी नही खलती तुम्हारी।

© डॉ.अजित