स्त्री किसी को
किस तरह करती है याद
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे पतझड़ को याद करता है बसंत।
***
पुरुष किसी को
कैसे भूलता है
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे सड़क को भुला देता है दोराहा।
***
स्त्री किसी को
कैसे भूलती है
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे बूंदे भूल जाती है बादल को।
***
पुरुष किसी को
कैसे याद करता है
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे नदी को याद करता है समन्दर।
***
स्त्री पुरुष
एक दुसरे को कैसे करते है याद
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे सफर को याद करता है बदन।
***
स्त्री पुरुष
एक दुसरे को कैसे भूलते है
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे साल को भूल जातें है
दिन और महीने।
© डॉ.अजित
किस तरह करती है याद
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे पतझड़ को याद करता है बसंत।
***
पुरुष किसी को
कैसे भूलता है
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे सड़क को भुला देता है दोराहा।
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स्त्री किसी को
कैसे भूलती है
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे बूंदे भूल जाती है बादल को।
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पुरुष किसी को
कैसे याद करता है
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे नदी को याद करता है समन्दर।
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स्त्री पुरुष
एक दुसरे को कैसे करते है याद
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे सफर को याद करता है बदन।
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स्त्री पुरुष
एक दुसरे को कैसे भूलते है
कुछ कुछ वैसे ही
जैसे साल को भूल जातें है
दिन और महीने।
© डॉ.अजित
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