Tuesday, August 2, 2016

बातें

आज तुम्हारी रेसिपी से चटनी बनाई मैंने
चटनी की कोई मौलिक रेसिपी नही होती
इसलिए मेरा कोई दावा नही उस पर
चटनी एक फ़्यूजन है जिसे स्वादुनसार बनाते है सब

आज मैंने तुम्हारी बताई किताब पढ़ी
वो दरअसल मेरी बताई हुई नही थी
मुझे किसी ने बताई थी मैंने पढ़ी अच्छी लगी
तो तुम्हें बता दी
वो मेरी खोज नही तो उसे मेरी कैसे कहूँ?

आज तुम्हारे पसन्द के कलर की शर्ट पहनी मैनें
हां देखा ! मगर अब वो मेरे पसन्द का रंग नही रहा
अरे ! पसंदीदा रंग कैसे बदल सकता है
जब स्थाई प्यार बदल सकता है रंग क्यों नही बदल सकता?
अब इस पर कोई बहस नही !

आज मैंने तुम्हें याद करते हुए नदी को देखता रहा
इसे प्लीज़ मेरी याद से मत जोड़ो
तुम अंदर से खाली होंगे तभी एक जगह रुक गए
याद में आँखें बंद हो जाती है
इसलिए मृत्यु अंतिम और स्थाई याद है

आज कैलेंडर देखा तो पाया
मेरा तुम्हारा बर्थडे एक महीने में आता है
ये कैसा विचित्र संयोग है
ये ठीक वैसा ही संयोग है जैसे घनी बारिश के बाद उदासी आती है

आज दिल किया बहुत दिन हो गए साथ चाय पिए
मैंने चाय पीनी छोड़ दी है अब इसलिए दिल कुछ और पीने को याद करें तभी दिल की बात सुनने लायक होगी

अच्छा तुम्हारा क्या प्लान है
मेरा कोई प्लान नही बस यही प्लान है

आज तुम्हारे जैसी खुशबू मेरे करीब से गुजरी
वो परफ्यूम की खुशबू होगी,
मेरी खुशबू मेरे वजूद में कैद रहती है

आज ऐसा क्यों लग रहा है तुम नाराज़ हो

इसलिए लग रहा है तुम आज में बात कर रहे हो
और मैं कल में जवाब दे रही हूँ।

©डॉ.अजित

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