Tuesday, December 6, 2016

गजल

पहले कह देता था
अब कहता नही हूँ

मान लो आदमी हूँ
कोई खुदा  नही हूँ

बेखबर हूँ थोड़ा सा
तुझसे जुदा नही हूँ

रो नही सकता अभी
खुद पे फ़िदा नही हूँ

बिछड़ नही सकता
तुमसे मिला नही हूँ

थोड़ी सी पीने दो
अभी खुला नही हूँ

© डॉ.अजित

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