हंसी तुमने देखी है हमारी
मगर हम रो कर निकले है
जितना हासिल किया तुमने
उतना हम खो कर निकले है
धूप में भी छांव मिल जाएगी
बीज एक हम बो कर निकले है
पहुँच ही जाएंगे खत सब पते पर
ख्याल दिल भिगो कर निकले है
कोई रहता था हमेशा वहां
जहां से हम हो के निकले है
©डॉ.अजित
मगर हम रो कर निकले है
जितना हासिल किया तुमने
उतना हम खो कर निकले है
धूप में भी छांव मिल जाएगी
बीज एक हम बो कर निकले है
पहुँच ही जाएंगे खत सब पते पर
ख्याल दिल भिगो कर निकले है
कोई रहता था हमेशा वहां
जहां से हम हो के निकले है
©डॉ.अजित
1 comment:
सुन्दर।
Post a Comment