Friday, June 16, 2017

सलाह

शब्दों को बड़ी सावधानी से चुनना सखी
शब्द रास्ता रोकेंगे
शब्द मन को भरमाएंगे

रहना हमेशा इतना सावधान
जितनी रहती हो मंदिर में ईश्वर के समक्ष
रहना इतनी लापरवाह
जितनी रहती हो विंडो सीट पर बैठकर

शब्दों के फेर में उलझ मत जाना सखी
हो सके समझना शब्दों की माया
सन्देह मत करना मगर सोचना यह भी
शब्दों की होती है अपनी एक काया

कहना या सुनना
मगर बहुत ध्यान से चुनना
एक-एक शब्द
इनकार हो या मनुहार
सबसे भरोसेमंद क्यों न हो प्यार

शब्दों पर देना गहरा ध्यान
मत बन जाना थोड़ी सी अनजान
मत ढोना शब्दों का बोझ सखी
कह देना अपनी खोज सखी

शब्दों को ब्रह्म बताने वाले
नही बता कर गए ब्रह्म का पता
शब्दों के जरिए ब्रह्म को
मत खोजने लग जाना सखी

हो सके तो खुद को भरम से बचना सखी।

©डॉ.अजित

3 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर रचना।

Onkar said...

बहुत सुन्दर

रश्मि प्रभा... said...

http://bulletinofblog.blogspot.in/2018/03/blog-post_7.html