वो हमेशा खराब
कैप्शन देने के लिए
जाना जाता था
सारांश उसकी
समझ से परे था
वो हमेशा जीता रहा सार को
जीवन समझकर
हंसी को वो कह देता रात
मुस्कान को वो कहता था चिड़िया
रोने के लिए वो चस्पा कर देता
स्माइली
चाहे जीवन हो या कविता
उसके शीर्षकों में हमेशा रहा
सम्प्रेषणदोष
वो प्यार को कहता था दोस्ती
और नाराज़गी को लिख देता था
अधिकार
गुस्से में वो हँसता था विद्वानों की तरह
नि:सहायता में देने लगता था सलाह
खराब फोटो के लिए उसे
अक्सर माफ कर दिया
उन दृश्यों ने जो किए गए थे कैद
क्योंकि
वो हमेशा लेता था उनकी अनुमति
क्लिक करने से पहले
उसके कैप्शन से जो
विकसित किए गए अर्थ
वो हुए गल्प साबित बाद में
इसलिए जिन्होंने उसे पढ़ा
उसके क्लिक किए फोटो देखें
और नजरअंदाज कर दिए कैप्शन
वो जानते है यह बात कि
खत्म करने के बाद भी
उसके पास कितना रह जाता था
कितना अनकहा
खराब कैप्शन उसी की
एक बानगी भर थी
इसलिए यदि सारे कैप्शन
रख दिए जाएं एक पंक्ति में
वो लगेंगे एक कविता के जैसे
एक ऐसी कविता
जो किसी कविता का सार नही है।
©डॉ. अजित
कैप्शन देने के लिए
जाना जाता था
सारांश उसकी
समझ से परे था
वो हमेशा जीता रहा सार को
जीवन समझकर
हंसी को वो कह देता रात
मुस्कान को वो कहता था चिड़िया
रोने के लिए वो चस्पा कर देता
स्माइली
चाहे जीवन हो या कविता
उसके शीर्षकों में हमेशा रहा
सम्प्रेषणदोष
वो प्यार को कहता था दोस्ती
और नाराज़गी को लिख देता था
अधिकार
गुस्से में वो हँसता था विद्वानों की तरह
नि:सहायता में देने लगता था सलाह
खराब फोटो के लिए उसे
अक्सर माफ कर दिया
उन दृश्यों ने जो किए गए थे कैद
क्योंकि
वो हमेशा लेता था उनकी अनुमति
क्लिक करने से पहले
उसके कैप्शन से जो
विकसित किए गए अर्थ
वो हुए गल्प साबित बाद में
इसलिए जिन्होंने उसे पढ़ा
उसके क्लिक किए फोटो देखें
और नजरअंदाज कर दिए कैप्शन
वो जानते है यह बात कि
खत्म करने के बाद भी
उसके पास कितना रह जाता था
कितना अनकहा
खराब कैप्शन उसी की
एक बानगी भर थी
इसलिए यदि सारे कैप्शन
रख दिए जाएं एक पंक्ति में
वो लगेंगे एक कविता के जैसे
एक ऐसी कविता
जो किसी कविता का सार नही है।
©डॉ. अजित
1 comment:
वाह
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