Wednesday, December 9, 2020

बात

 क्या तुम्हारे जीवन में

कोई अन्य स्त्री आ गयी है?

उसने अधिकार से पूछा


मैंने कहा शायद हाँ !


मुझे अच्छा लगता यदि

तुम हाँ से पहले शायद न लगाते

उसने थोड़ा तल्ख़ होकर कहा


और मुझे अच्छा लगता

यदि तुम पूछती

दूसरी स्त्री को देखकर क्या सोचते हो तुम

मैंने कहा


तुम क्या सोचते हो

यह पूछने की जरूरत नही मुझे 

तुम क्या महसूसते हो

यह जानना जरूरी है मेरे लिए

उसने कहा


तुम्हें सब पता है

बताने की जरूरत नही समझता मैं

मैंने कहा


सब पता होने का एक मतलब

कुछ भी पता न होना भी होता है

उसने इतना कहकर 

समाप्त की एक औपचारिक बात।


©डॉ. अजित 

10 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

वाह

Onkar said...

बहुत सुन्दर रचना

Sweta sinha said...

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ११ दिसंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

विभा रानी श्रीवास्तव said...

गज़ब
किस विधा की रचना समझ सकूँ उलझन में हूँ

शुभा said...

वाह!बहुत खूब!

मन की वीणा said...

कुछ अलहदा सी रचना ।
आत्मविमुग्ध करती ।

संध्या शर्मा said...

वाह ! बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग को पढ़ना ... शुभकामनायें

md said...

🙏

Nidhi Saxena said...

वाह

सधु चन्द्र said...

वाह!