क्या तुम्हारे जीवन में
कोई अन्य स्त्री आ गयी है?
उसने अधिकार से पूछा
मैंने कहा शायद हाँ !
मुझे अच्छा लगता यदि
तुम हाँ से पहले शायद न लगाते
उसने थोड़ा तल्ख़ होकर कहा
और मुझे अच्छा लगता
यदि तुम पूछती
दूसरी स्त्री को देखकर क्या सोचते हो तुम
मैंने कहा
तुम क्या सोचते हो
यह पूछने की जरूरत नही मुझे
तुम क्या महसूसते हो
यह जानना जरूरी है मेरे लिए
उसने कहा
तुम्हें सब पता है
बताने की जरूरत नही समझता मैं
मैंने कहा
सब पता होने का एक मतलब
कुछ भी पता न होना भी होता है
उसने इतना कहकर
समाप्त की एक औपचारिक बात।
©डॉ. अजित
10 comments:
वाह
बहुत सुन्दर रचना
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ११ दिसंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
गज़ब
किस विधा की रचना समझ सकूँ उलझन में हूँ
वाह!बहुत खूब!
कुछ अलहदा सी रचना ।
आत्मविमुग्ध करती ।
वाह ! बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग को पढ़ना ... शुभकामनायें
🙏
वाह
वाह!
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