Tuesday, July 12, 2022

अनुमान

मैं चाहता था
कि उसे लेकर गलत निकले
सभी अनुमान मेरे

मुझे पता था
एकदिन बदल जाएंगे
सब गणित
और पीछे-पीछे हो लेगा
मनोविज्ञान

मेरी कोई अतृप्ति नहीं जुड़ी थी 
उसके साथ
मगर इस बात से नहीं मिलता था
स्मृतियों को कोई मोक्ष

मैंने चाहा
थोड़ा प्रेम
ज्यादा भरोसा
और मध्यम अनुराग 

यह चाह भी बदलती रही
यदा-कदा ही इसके
अनुरुप चला जीवन

बावजूद इन सब के
कल्पना का विकल्प बना यथार्थ
भविष्य का विकल्प बनी नियति
और आह में आती रही घुलकर
एक हितकामना

इतने कारण पर्याप्त थे
यह कहने के लिए कि
हम प्रेम की बातों के लिए बने थे
प्रेम के लिए नहीं।

©डॉ. अजित 




8 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर

Sweta sinha said...

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ जुलाई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

बातों में अगर प्रेम है तो वह प्रेम से बेहतर है क्योंकि प्रेम केवल पीड़ा देता है . और बातें राहत ..बहुत अच्छी अभिव्यक्ति

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत अच्छी अभव्यक्ति ।

Sudha Devrani said...

बावजूद इन सब के
कल्पना का विकल्प बना यथार्थ
भविष्य का विकल्प बनी नियति
और आह में आती रही घुलकर
एक हितकामना
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
वाह!!!

Bharti Das said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति

Onkar said...

बहुत सुंदर सृजन

TOP TALWARA said...

सुंदर लिंक शुक्रिया आपका बहुत बहुत
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