उसकी बातें: किसकी बातें
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उस पर सबसे ज्यादा
कोफ़्त मुझे तब होती
जब वो किसी शब्द/बात का अर्थ मुझसे पूछती
फिर गूगल भी जब उसी से मिलता जुलता जवाब देता
तो बड़े उत्साह से मुझे वो बात बताती
उसका शोध
जब अविश्वास की उपकल्पना से गुजरता
तब निसंदेह स्माईली के मेरे जवाब के बावजूद
बहुत खराब लगता था मुझे।
***
उस पर सबसे
ज्यादा प्यार मुझे तब घुमड़ता
जब वो मेरे खराब मूड की परवाह किए बिना
आदतन पूछती
आज क्या खाया है लंच में
ब्रेकफास्ट किया की नही।
***
उस पर सबसे ज्यादा गुस्सा
तब आता था
जब उसनें सीख ली समझदारी
और छिपाने लगे अपने दुःख।
***
उस पर सबसे ज्यादा
विश्वास इसलिए भी था
वो खुद से ज्यादा
दुसरे के ठगे जाने की करती थी परवाह
हर बार, हमेशा।
***
उस पर सबसे
कम बातें हुई
और वो सबसे ज्यादा बचती रही
मेरे अंदर।
© डॉ.अजित
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उस पर सबसे ज्यादा
कोफ़्त मुझे तब होती
जब वो किसी शब्द/बात का अर्थ मुझसे पूछती
फिर गूगल भी जब उसी से मिलता जुलता जवाब देता
तो बड़े उत्साह से मुझे वो बात बताती
उसका शोध
जब अविश्वास की उपकल्पना से गुजरता
तब निसंदेह स्माईली के मेरे जवाब के बावजूद
बहुत खराब लगता था मुझे।
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उस पर सबसे
ज्यादा प्यार मुझे तब घुमड़ता
जब वो मेरे खराब मूड की परवाह किए बिना
आदतन पूछती
आज क्या खाया है लंच में
ब्रेकफास्ट किया की नही।
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उस पर सबसे ज्यादा गुस्सा
तब आता था
जब उसनें सीख ली समझदारी
और छिपाने लगे अपने दुःख।
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उस पर सबसे ज्यादा
विश्वास इसलिए भी था
वो खुद से ज्यादा
दुसरे के ठगे जाने की करती थी परवाह
हर बार, हमेशा।
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उस पर सबसे
कम बातें हुई
और वो सबसे ज्यादा बचती रही
मेरे अंदर।
© डॉ.अजित
1 comment:
हमेशा की तरह सुंदर ।
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