इन्तजार की ऊब में डूबे
किसी शख्स से मिलें कभी आप
उसकी घड़ी का समय
मिनट पहले बताती है
घंटे बाद में
इन्तजार की आश्वस्ति
खुद को समझाने की बढ़िया युक्ति है
जो अटकी रहती है
किसी के होने
और न होने के बीच
इन्तजार की ऊब से पुते चेहरे
खो देते है शिल्प की ख़ूबसूरती
व्यक्त अव्यक्त के समानांतर
वो जीते है कयासों से भरी दुनिया
कभी समय के सापेक्ष
कभी समय के निरपेक्ष।
© डॉ.अजित
किसी शख्स से मिलें कभी आप
उसकी घड़ी का समय
मिनट पहले बताती है
घंटे बाद में
इन्तजार की आश्वस्ति
खुद को समझाने की बढ़िया युक्ति है
जो अटकी रहती है
किसी के होने
और न होने के बीच
इन्तजार की ऊब से पुते चेहरे
खो देते है शिल्प की ख़ूबसूरती
व्यक्त अव्यक्त के समानांतर
वो जीते है कयासों से भरी दुनिया
कभी समय के सापेक्ष
कभी समय के निरपेक्ष।
© डॉ.अजित
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