सन्नाटें के मध्य
चुपचाप पड़ी है कुछ ध्वनियां
एक रूमानी गीत के मध्य
उपस्थित है बेसबब बिछड़ने का सबब
रात और दिन
सुबह और शाम के मध्य
जिन्दा है समय का मिला-जुला प्रभाव
ऐसे में यह तय करना
सबसे मुश्किल था
कौन निकट है कौन दूर
फिर भी
मैं सतत् चलता रहा एक ही दिशा में अनवरत्
उम्मीद थी पहूंच जाऊँगा तुम तक एकदिन
उम्मीद को परखना
जीवन का सबसे बड़ा ज्ञात जोखिम था।
© डॉ.अजित
चुपचाप पड़ी है कुछ ध्वनियां
एक रूमानी गीत के मध्य
उपस्थित है बेसबब बिछड़ने का सबब
रात और दिन
सुबह और शाम के मध्य
जिन्दा है समय का मिला-जुला प्रभाव
ऐसे में यह तय करना
सबसे मुश्किल था
कौन निकट है कौन दूर
फिर भी
मैं सतत् चलता रहा एक ही दिशा में अनवरत्
उम्मीद थी पहूंच जाऊँगा तुम तक एकदिन
उम्मीद को परखना
जीवन का सबसे बड़ा ज्ञात जोखिम था।
© डॉ.अजित
1 comment:
और आगे फिर ? .....वो भी बयां कीजिए
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